
चेन्नई, नगर संवाददाता : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने मंगलवार को विधानसभा में एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि केंद्र-राज्य संबंधों की समीक्षा करने और राज्यों की स्वायत्तता व संघवाद को मजबूत करने के लिए एक तीन-सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
विधानसभा में नियम 110 के तहत स्वप्रेरणा से की गई घोषणा में स्टालिन ने बताया कि इस समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस कुरियन जोसेफ करेंगे। इस समिति में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति के. अशोक वर्धन शेट्टी, तथा राज्य योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एम. नागनाथन को सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समिति संविधान, कानूनों, नियमों और नीतियों की समीक्षा करेगी जो केंद्र और राज्य के संबंधों से जुड़ी हैं। साथ ही, यह समिति ऐसे उपाय सुझाएगी जिससे केंद्र द्वारा राज्य सूची से समवर्ती सूची में डाले गए विषयों को फिर से राज्यों को वापस सौंपा जा सके। इसके अलावा, समिति प्रशासनिक बाधाओं को दूर करने के उपाय सुझाएगी, और यह भी देखेगी कि कैसे राज्यों को अधिकतम स्वायत्तता दी जा सकती है, बिना राष्ट्र की एकता और अखंडता से समझौता किए।
स्टालिन ने कहा, “भारत ने स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह एक ऐसा देश है जहां लोग विभिन्न भाषाएं बोलते हैं, अलग-अलग जातीय समूहों से आते हैं और विविध संस्कृतियों का पालन करते हैं। संविधान ने इन सभी विविधताओं को समाहित करते हुए लोगों के अधिकारों की रक्षा की है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारा संविधान डॉ. बी.आर. आम्बेडकर के नेतृत्व में संघीय ढांचे पर आधारित बना, ताकि विभिन्न राज्यों को उचित अधिकार मिल सकें। लेकिन आज राज्यों के अधिकारों का धीरे-धीरे हनन हो रहा है। राज्य सरकारों को अपने मौलिक अधिकारों के लिए भी केंद्र सरकार से लड़ना पड़ रहा है।”
मुख्यमंत्री स्टालिन ने राज्य की स्वायत्तता के लिए डीएमके की ऐतिहासिक लड़ाई का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “1969 में जब देश का कोई भी राज्य स्वायत्तता की मांग नहीं कर रहा था, तब कलैग्नार करुणानिधि ने जस्टिस पी.वी. राजामन्नार की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की थी। 1971 में इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी और 16 अप्रैल 1974 को तमिलनाडु विधानसभा ने उसकी प्रमुख सिफारिशों को स्वीकार किया।”
स्टालिन ने कहा कि वर्तमान राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र-राज्य संबंधों पर पुनर्विचार अत्यंत आवश्यक हो गया है। इसीलिए यह नई समिति गठित की गई है ताकि तमिलनाडु सहित सभी राज्यों को उनका उचित हक और प्रशासनिक स्वायत्तता मिल सके।
यह समिति राजामन्नार समिति और केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर गठित अन्य आयोगों की सिफारिशों का भी अध्ययन करेगी।
तमिलनाडु सरकार की इस घोषणा को देश में संघवाद को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।