जालोर, राजस्थान/इंद्रसिंह राजपूतः स्थानीय पुलिस वृत्त के पुलिसउप अधीक्षक धीमाराम विश्रोई व सीआई अशोक कुमार आँजणा की सजगता और सक्रियता से जहां एक नवयुवती की जान बची वहीं समाधि लेने की अंधविश्वासी प्रथा भी रुक पाई। पुलिस अधिकारियोँ की सक्रियता और सजगता से जान बचने का यह एक सुन्दर और अनुकरणीय उदाहरण है। प्राप्त जानकारी के अनुसार निकटवर्ती धनवाड़ा गाँव में पताराम भील की पुत्री एवन कुमारी (उम्र करीब 18 वर्ष से ऊपर) चैत्र के नवरात्रें व्रत गत तीन-चार दिनों से वह बगैर अन्न और जल के कर रही थी। इस दौरान उसके शरीर में पानी की भयंकर कमी आ गई। ऊपर से आज दिन में ढोल-धमाकों के बीच उसके शरीर में विभिन्न प्रकार के आवेग उत्पन होने से ग्रामिणों ने उसमें दैवीय शक्ति के आगमन को मानकर उसकी पूजा-अर्चना भी करने लगे। लोग प्रसाद चढाकर मन्नत भी मांगने लगे। जैसे जैसे दिन बीतता गया वैसे वैसे अंधभक्तों की भीड़ भी बढ़ती गई। सैकड़ों लोग वहां का मंजर देखने एकत्र होने लगे। इस दौरान वहां पर उक्त नवयुवती के समाधि लेने की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। किसी जागरूक नागरिक की सूचना पर आनन-फानन में पुलिस उप अधीक्षक धीमाराम विश्रोई और सीआई अशोक कुमार आँजणा के नेतृत्व में पुलिस ने मय जाब्ता धनवाड़ा गांव में उक्त स्थल पर पहुँचकर मौका स्थिति का निरीक्षण व अवलोकन किया। पुलिस ने ताबड़तोड़ वहां से उक्त नवयुवती एवन कुमारी को पुलिस सुरक्षा में लेकर स्थानीय राजकीय अस्पताल में भर्ती करवा दिया। जहाँ पर डाॅ. रमेश देवासी ने युवती का इलाज शुरू कर दिया। युवती अभी अस्पताल में भर्ती है। पुलिस मामले की जाँच कर रही है। पुलिस में मामला दर्ज हुआ अथवा नहीं इस बारे में मैने अभी तक कोई जानकारी प्राप्त नहीं की है। घटना शाम करीब सात बजे की है मगर इतनी देर तक अस्पताल में होने के कारण अभी भेज रहा हूँ।